Friday, September 28, 2007

उम्मीद का दीपक

अपनी उम्मीद का दीपक तुम जला कर रखना !
आस का दामन दिल में ही सजा कर रखना !
न जाने वक़्त कब करवट बदल ले
सोया सा एक आलम तुम जगा कर रखना !
न जाने कौन कब तेरे दर से गुज़रे
राहों पर नज़र अपनी बिछा कर रखना !
ये दिल का दर्द तो बढ़ता है हर पल
मगर दिल में इसे तुम दबा कर रखना !
छलकने जो लगें पलकों से मोती
इन अश्कों को पलकों में छुपा कर रखना !

6 comments:

'A' or 'Gazal' jit said...

Very good .... nice really.

पार्थ जैन said...

”ये दिल का दर्द तो बढ़ता है हर पल
मगर दिल में इसे तुम दबा कर रखना ”


वाह भाई वाह इन पंक्तियों मे तो जान है,मजा आ गया,क्या दर्द है आपकि रचनाऒं में

Udan Tashtari said...

मजा आया पढ़ने में. बढ़िया है. लिखते रहें, शुभकामनायें.

Unknown said...

maza aa raha hai....your poems r outstanding....
Siddharth singh

रंजू भाटिया said...

ये दिल का दर्द तो बढ़ता है हर पल
मगर दिल में इसे तुम दबा कर रखना !
छलकने जो लगें पलकों से मोती
इन अश्कों को पलकों में छुपा कर रखना !

अच्छा है यह भी ..लिखते रहे

Unknown said...

hey shivani relli niceee i m really bad at reading hindi but i tried i likedd it nice stuff keep up