Wednesday, July 16, 2008

फ़ैसला


एक एक पल,एक युग सा लगने लगा
सूनी सी नज़र आने लगी सब गलियाँ
ये शहर भी हमको अजनबी सा लगने लगा
जब आईने में देखी हमने अपनी सूरत
अपना चेहरा भी मुरझाया सा लगने लगा
मन बहलाने चले बगीचे की ओर
हर फूल भी कुम्ल्हाया सा लगने लगा
न वो बहार ,न खुशबू
सारा आलम ही बेगाना सा लगने लगा
तारों की बारात संग जब चाँद निकला
ये चाँद भी हमको धुंधला सा लगने लगा
आँखें बंद कर दो पल मन बहलाने लगे
बीता हर पल आज हमें याद आने लगा
हमने कुछ दिल से कहा ,कुछ दिल ने हमसे कहा
यूँही बातों में फ़िर वक्त गुजरने लगा
हम भी चल पड़े ये फ़ैसला करके
हमने क्या जुर्म किया जो ज़माने से डरेंगे
बस एक तुमको चाहा है ,हम हजारों में कहेंगे !

Tuesday, July 8, 2008

इंतज़ार

है मुझे इंतज़ार उस दिन का

जिस दिन किसी की नफरत
बदल जाएगी चाहत में !
हो जाएंगे दूर सब गिले शिकवे
और बंध जाएंगे फिर सब रिश्ते
प्यार के धागे में !
जानती हूँ ऐसा सोचना
मेरे लिए एक हसीं ख्वाब सा है ,
और ख़्वाबों में जीना
एक आदत सी बन कर रह गई है !
बैठी हूँ आँखें मूँद कर
कि कहीं ये ख्वाब टूट न जाएँ
और मैं दोबारा न पहुँच जाऊं
हकीकत की दुनिया में !
इतना तो समझा है अपने तजुर्बे से
कि इंतज़ार अच्छा बहाना है
जिंदगी गुजारने का !
बस इन्हीं इंतज़ार की
पतवारों का सहारा ले कर
अपनी जीवन नय्या पार
लगाने की कोशिश में
चली जा रही हूँ मैं !

Tuesday, July 1, 2008

सौगात

ये ग़म किसी और ने दिए होते
तो शायद में भुला देती !
मगर मान कर ये सौगात तेरी
इन्हें दिल से लगाए बैठी हूँ !
वो दरीचे किसी और इमारत के होते
तो शायद --
नज़र झुका के चुपचाप चली जाती !
मगर आज उन्ही दरीचों को
नज़र भर देख के चली जाती हूँ !
रात ढलने को है और
नींद से बोझिल हैं पलकें मेरी !
सोचती हूँ ,क्यूँ तेरे ख्वाब आते हैं
और क्यूँ उन्हें पलकों में छुपा लेती हूँ !
प्यार भरे नगमे सुनती हूँ ,भुला देती हूँ !
हाँ ,तेरी बेवफाई के अफसाने
में अक्सर गुनगुनाती हूँ ,मुस्कुराती हूँ !