Monday, September 8, 2008

कुछ सवालात

गुज़र चुकी जिंदगी की रातें
क्यूँ न सुबह का इंतज़ार करें !
बहुत हो चुकी तकरार की बातें
क्यूँ न प्यार का इज़हार करें !
मौत तो मिल जायेगी बिन मांगे
क्यूँ न जिंदगी से दो बात करें !
ढूंढ रहे हैं हम,कहाँ खो गए तुम
क्यूँ न हम तुमसे मुलाक़ात करें !
बहुत थक चुके,अब सोचते हैं हम
क्यूँ न तुमसे कुछ सवालात करें !
कहाँ से चले थे,कहाँ आ गए हम
क्यूँ न नए सफर की शुरुआत करें !