माँ,
तुम अनमोल खजाना हो
मेरी बचपन की यादों का
असीमित विस्तार हो तुम
प्रेम,प्यार,दुलार का
सुख का घना साया हो
दुखों की धूप से निजात पाने का
पथ प्रदर्शक हो मेरी
अपने फ़र्ज़ से भटक जाने पर
मेरी हंसी,ख़ुशी नहीं छिपी
नहीं छिपे हैं मेरे दुःख और सुख
मेरे संस्कारों का आइना हो तुम
तुम रंग हो,सुगंध हो
मेरे अहसासों की तरंग हो
तुम प्रेरणा हो,आदर्श हो
मेरी आँखों का सुखद स्वप्न हो
तुम धरती हो,आकाश हो
तुम ज्ञान का प्रकाश हो
खुशियों की बौछार हो
गुरु भी हो,तुम दोस्त भी हो
तुम होली हो,दीवाली हो
तुम सबकी राजकुमारी हो
माँ,तुम बहुत ही प्यारी हो !