Saturday, August 29, 2009

एक शाम के नाम

सूरज का रथ लालिमा ले कर ,
निकल पड़ा था क्षितिज की ओर !
विशाल समुद्र के सपाट हृदय पर ,
उठ रहा था लहरों का शोर !
कलरव करते पक्षी भी अब,
ढूंढ रहे थे रैन बसेरा !
वहीँ दूर एक खड़ी थी किश्ती ,
जाने को अब घर की ओर !
सफ़ेद चमकती रेत पर बैठी ,
सोच रही थी मैं एक बात !
क्यूँ न आज कुछ पंक्तियाँ लिख कर ,
कर दोन उनको इस शाम के नाम !
मेरे जीवन की जब भी आए ,
ऐसी शाम सुहानी हो !
जो बीती ,जैसी भी बीती ,
आगे सुख भरी कहानी हो !
जब भी आए डोली मेरी ,
इस दुनिया से दूर जाने को !
विदा करना तुम मुझे सजा कर ,
जैसे दुल्हन नई नवेली हो !

Tuesday, August 18, 2009

जीवन यात्रा

जीवन एक यात्रा है ,जो शुरू होती है
बचपन की खुली ,चौडी ,साफ़ सडकों से !
जिनसे बचपन भागता सा गुज़र जाता है !
फ़िर नज़र आती हैं वही सड़कें
गली के रूप में !
जहाँ धीमी हो जाती है जीवन की रफ़्तार !
कुछ समय बाद शुरू होती हैं
पग डंडियाँ - छोटी ,बड़ी,लम्बी,पतली
यहीं से शुरू होता है ,आँख मिचोली का खेल !
जो इन पग डंडियों में भटक गया,
वही जीवनधारा में उलझ गया !
जिसने अपना रास्ता खोज लिया
समझो वही जीवन में जीत गया !
मैं भी भटक गई हूँ इन पग डंडियों में !
वहाँ आ खड़ी हूँ ,जहाँ से हर रास्ता
अंधेरे में खोया सा लगता है !
भटकने के डर से भयभीत
और सही मार्गदर्शन की उम्मीद ले खड़ी हूँ !
यात्रा का अंत कब और कहाँ होगा
मैं नहीं जानती !
मगर इतना जानती हूँ
कि---
जीवन यात्रा बहुत छोटी है !