Monday, August 18, 2008

तुम्हारा ख्याल

वो महकता हुआ सा तुम्हारा ख्याल
आज मुझे क्यूँ आ गया !
जागते में तुम्हारा सुनहरा सा ख्वाब
दिल को क्यूँ बहला गया !
वो महकता हुआ सा तुम्हारा ख्याल !!
तुम्हे तो भुला ही चुकी थी मैं कब का
अचानक तुम्हारा चेहरा
याद मुझे क्यूँ आ गया !
वो महकता हुआ सा तुम्हारा ख्याल !!
हवा से भी पूछा तुम्हारा हाल
फिजां से भी पूछा ये ही सवाल
मगर हर तरफ़ से मायूस सा
जवाब मुझे क्यूँ आ गया !
वो महकता हुआ सा तुम्हारा ख्याल !!
इस उम्मीद पर गुजरी मेरी शाम
कभी तो नज़र आए ईद का चाँद
मगर चाँद को देखते ही मुझे
तुम्हारा ख्याल आ गया !
वो महकता हुआ सा तुम्हारा ख्याल
आज मुझे क्यूँ आ गया !

Thursday, August 7, 2008

प्यार भरा एक टुकडा


सन् १९९९ में दिसम्बर में १३३ साल बाद पूर्णमासी के दिन चाँद का आकार सामान्य से १४ % बड़ा था...

एक शताब्दी बाद आज आई ,
अनूठी चांदनी संग पूनम की रात !
उसकी बिखरी चांदनी मानो ,
चांदी की चादर बिछी हो धरती पर!
रात को मैं खिड़की से झांकी ,
देखा चाँद आज बहुत इतराया !
मैं बोली `ओ गगन के चाँद ',
बहुत इतराया एक युग के बाद !
माना आज तूने सुंदर रूप है पाया !
पर -एक चाँद इस धरती पर भी है ,
बरसों से उसने तुझसा रंग अपनाया !
मैंने आज छिपा रखा है घर में !
कहीं अगर वह आ जाए बाहर ,
उसकी चमक से तू फीका होगा !
सोचेंगे फ़िर ये दुनिया वाले ,
अब तक था ये इतना इतराया ,
फ़िर अचानक ये क्यूँ शरमाया !
इसीलिए रखने को तेरी लाज
अपना चाँद छुपा रखा है आज !
वह चाँद नहीं ,वह हीरा है !
वह हीरा नहीं ,वह कुंदन है !
कुंदन नहीं ,वह मेरे दिल का ,
प्यार भरा एक टुकडा है !

Friday, August 1, 2008

दगा

दोस्त बन कर तुमने
अपनी ही दोस्ती को दगा दिया ,
तुमसे तो दुश्मन भले
जो दुश्मनी तो निभाते हैं !
गंगा की तरह पाक
समझा था तुम्हे हमने !
करके मैला दोस्ती को ,तुमने
गंगाजल को नापाक किया !
कहते थे बड़े नाज़ से हम
हीरा है दोस्ती अपनी !
कमबख्त तब कहाँ जानते थे
हीरा भी कभी ज़हर बन जाता है !
इसे वक्त का ही तकाजा कहें
जो कभी हम पर लुटाते थे अपनी जान !
आज वो हर हाल में
हमारी जान के दुश्मन बने जाते हैं !