Sunday, August 26, 2007

ख़्वाबों की दुनिया

वह एक पागल लड़की थी
जो जाना चाहती थी
ख़्वाबों की दुनिया में
तय करते हुए
हकीकत का सफ़र !
मैंने देखा है उसे
मरीचिका के समान
एक साए के पीछे भागते हुए !
मैंने देखा है उसे
बच्चों की तरह जिद करते हुए !
माँग रही थी वह
अपने ख़्वाबों के साए को
हकीकत के रुप में !
पर कैसे समझायें
उस नादाँ लड़की को
की कागज के फूलों से
कब महके हैं किसी के घर !
मैंने देखा है उसे
बच्चों की तरह रोते हुए !
क्यूंकि -----------
ज़िंदगी की सड़क पर
न जाने कबसे भागते हुए
अब शाम ढल चुकी थी !
और शाम के धुंधलके में
लुप्त हो चुका था वह साया !
इसी झूठ के साए के पीछे
भागते हुए गुज़ार चुकी थी
वह अपनी सारी उम्र !
सच ही ---------
वह एक पागल लड़की थी !
जो जान चाहती थी
ख़्वाबों की दुनिया में
हकीकत का सफ़र तय करते हुए

1 comment:

'A' or 'Gazal' jit said...

Wonderful creation....but may I know ki ye kis ladki ke bare me likha hai aapne....kahi ye ladki khud poet to nahi??????