Saturday, April 25, 2009

तुम

तुम्हारी मुस्कराहट मेरे दिल को चुरा ले जाती है !
मैं कुछ कहना भी चाहूँ तो मुझे वो रोक लेती है !
सर्दियों में ओस की बूँद से अगर खेलना चाहूँ ,
न जाने क्यूँ तुम्हारी तस्वीर उभर के आती है !
पास अपनी हरदम महसूस होता है एक साया ,
तुम्हारी हर इक अदा नज़र उसमें भी आती है !
मैं भूले से अगर आँखें कभी बंद कर लूँ ,
ख्यालों में तुम्हारा चेहरा ही मन को भाता है !
कभी भूले से मन मेरा भटक भी जाए तो क्या ,
लगता है कि वो तुमसे मिल कर मेरे पास आता है !
मैं भूल जाऊं तुम्हें और न करूँ कभी याद ,
मेरा दिल हर वक्त अब यही चाहता है !
मगर -
मेरे चाहने या न चाहने से क्या होता है ,
वही होता है जो मंजूरे खुदा होता है !

8 comments:

इरशाद अली said...
This comment has been removed by the author.
इरशाद अली said...

bahut hi sundar bhaw hae..acchi parstuti

श्यामल सुमन said...

अपनों सी छाया दिखे जब चाहत गम्भीर।
अपनापन गर न मिले हृदय में होती पीड़।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

अनिल कान्त said...

dil to hai dil .....aapki rachna mein chaahta saaf nazar aati hai

मेरी कलम - मेरी अभिव्यक्ति

mehek said...

bhawanaon ka sagar liye sunder rachana badhai.dil se sara jag haara ek mann kya chiz hai.

अविनाश वाचस्पति said...

शिखा हो या शिवानी हो
रचो खूब रचो
मनोभाव सुहानी हो।

MEDIA GURU said...

sundar bhav hai. badhai

preeti khare said...

Khuda ne karam ka flsafa bhi banaya
hai,nazariya koi bhi ho,shiddat se
junun se,aadr se,pyar se sb sambhav
hai....mujhe aapki rachna ne prabhavit kiya....badhai.