हैरान हूँ , परेशान हूँ ! जिंदगी के दाव पेचों से , पूरी तरह अनजान हूँ ! क्या यही खेल हैं जिंदगी के , कि अपने अपनों को छलते रहें, अपनेपन का दिखावा करते रहें ! और हम धिक्कारते रहें उनको गैर कह कर , जो गैर हो कर भी , जान हम पर लुटाते रहें !
मेरा प्रसिद्ध नाम शिखा है परन्तु काव्य जगत में,मैं शिवानी सिंह नाम से जानी जाती हूँ !अपनी अब तक की जीवन यात्रा में,मैं कभी ख़ुशी,कभी ग़म एवं उदासी के दौर से गुजरी !अक्सर मुझे अपने जीवन के सुख दुःख याद करने का अवसर मिला !चाहे अनचाहे जीवन के सारे खट्टे,मीठे अनुभव मेरी आँखों में सपनों की तरह ऐसे उतर आये जैसे भोर होते ही हरसिंगार के पेड़ से विदा होकर सुगंध भरे फूल भूमि पर गिर कर मनमोहक द्रश्य बिछा देते हैं !अपने कुछ अनुभव कविता के रूप में आपके समक्ष रख रही हूँ !मेरी आँखों में उतरे कुछ सपनो को आप भी देखिये .........
2 comments:
bhut hi sundar rachana hai.badhai ho.
Kya kahu, Sachchai ko bilkul samane lakar rakh diya hai....Awesome.
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