सरहद पर कुछ बादल छाये
हुआ सचेत हर हिन्दुस्तानी
वो बादल नहीं मौत के साए थे
सरहद पार से घुसपेठिये आये थे
आये थे वतन पर कहर बरसाने
एक ही पल में हुए सचेत
जल,थल,वायु सेना समेत
न घर की चिंता
न माँ,बहनों,बेटी की चिंता
न खाने की,न पानी की
न सोने की,न मौसम की
बस एक निशाना दुश्मन था
क्या क्लीफोर्ड और क्या हनीफ
क्या सौरव और क्या गोगोई
क्या अजय और क्या विक्रम
क्या अमित और क्या सुमित
सबकी आँखों का एक निशाना
काफिर को बचकर जाने न देना
हो कारगिल या हो बटालिक
टाइगर हिल हो या ज़ुबार हिल
बजरंग चौकी या मश्कोह घाटी
काकसार हो या द्रास सेक्टर
खाई है कसम सबने मिलकर
दम लेंगे अब दुश्मन को खदेड़ कर
बोल कर भारत माता की जय
दुश्मन पर टूट पड़े बिजली बन
एक सैनिक और दस दुश्मन
मार गिराने का बना फिर मन
ले कर तौप गोले और बन्दूक
चल पड़े दुश्मन की ओर
दुश्मन का जब गोला गिरता
जोश से हर सैनिक कह उठता
ये दिल मांगे मोर
पचास दिनों तक चली लड़ाई
आपरेशन विजय को विजय दिलाई
एक एक इंच धरती की खातिर
वीरों ने छाती पर गोली खाई
वीरगति को प्राप्त हुआ
इस देश की खातिर शहीद हुआ
लगा कर विजय तिलक मस्तक पर
माँ ने भेजा था सरहद पर
आज माँ के पास आया है सैनिक
ओढ़ कफ़न तिरंगे में लिपटा
बेटा थक कर सोया है
माँ ने बेटा खोया है
पर माँ की आँखें रोती न थी
बेटे को अब सोने दो
चुप रहो न किसी को रोने दो
आओ उधाएं फूलों की चादर
फिर तोपों की लोरी दे कर
गहरी नींद में उसे सुलाएं
ये बेटे की मौत नहीं थी
वह इतिहास बन हो गया अमर
आओ हम सब भारतवासी
श्रद्धा से अब सिर झुकाएं
करें नमन इस अमर वीर को
जिसने प्राण किये न्यौछावर
अपनी मात्रभूमि की खातिर
हो कर खड़े तिरंगे के संग
आओ हम सब बोलें मिलकर
वन्दे मातरम
और उस सूनी आँखों वाली
माँ के करके चरण स्पर्श
एक आवाज़ में कह डालें हम
देश के वीर सपूतों वाली
ऐ माँ तुझे सलाम
हे माँ के वीर सपूत
तुमेह हमारा शत शत प्रणाम !
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