उनींदी सी आंखों में
पलकों के पीछे
ख़्वाबों में जब तुम
चुपके से आए !
मेरा मन महका
कदम डगमगाए
कानों में आकर
जब तुम गुनगुनाये !
इन्हीं चंद शब्दों को
सुनने की हसरत
हकीकत से हट कर
क्यूँ ख़्वाबों में लाये !
है तुमसे गुजारिश
यही बात कहने
हकीकत में आते
क्यूँ ख़्वाबों में आए !
ख़्वाबों से निकल कर
चले आओ दिल में
समय के सफर से
हैं दो पल चुराए !
पलकों के पीछे
ख़्वाबों में जब तुम
चुपके से आए !
मेरा मन महका
कदम डगमगाए
कानों में आकर
जब तुम गुनगुनाये !
इन्हीं चंद शब्दों को
सुनने की हसरत
हकीकत से हट कर
क्यूँ ख़्वाबों में लाये !
है तुमसे गुजारिश
यही बात कहने
हकीकत में आते
क्यूँ ख़्वाबों में आए !
ख़्वाबों से निकल कर
चले आओ दिल में
समय के सफर से
हैं दो पल चुराए !
6 comments:
Ultimate...padh kar bahut achcha laga..khubsurat bhav piroye hai aapne ..dhanywaad..
ख़्वाबों से निकल कर
चले आओ दिल में
समय के सफर से
हैं दो पल चुराए !
--जबरदस्त!! बंधी हुई रचना..उम्दा भाव!
एक बहुत बढिया कविता के अनुरूप ही फोटो का चयन किया है बधाई
पनों की खातिर
Tuesday, September 22, 2009
ख्वाब
उनींदी सी आंखों में
पलकों के पीछे
ख़्वाबों में जब तुम
चुपके से आए !
मेरा मन महका
कदम डगमगाए
कानों में आकर
जब तुम गुनगुनाये !
इन्हीं चंद शब्दों को
सुनने की हसरत.nice
apki lekhni aur photo ka milan jabardast hai .aur kisi ne thik hi kaha hai 'khuab ko khuab rahne do'iska bhi ek alag ehshash hai.bahut khub ???????
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