वो महकता हुआ सा तुम्हारा ख्याल
आज मुझे क्यूँ आ गया !
जागते में तुम्हारा सुनहरा सा ख्वाब
दिल को क्यूँ बहला गया !
वो महकता हुआ सा तुम्हारा ख्याल !!
तुम्हे तो भुला ही चुकी थी मैं कब का
अचानक तुम्हारा चेहरा
याद मुझे क्यूँ आ गया !
वो महकता हुआ सा तुम्हारा ख्याल !!
हवा से भी पूछा तुम्हारा हाल
फिजां से भी पूछा ये ही सवाल
मगर हर तरफ़ से मायूस सा
जवाब मुझे क्यूँ आ गया !
वो महकता हुआ सा तुम्हारा ख्याल !!
इस उम्मीद पर गुजरी मेरी शाम
कभी तो नज़र आए ईद का चाँद
मगर चाँद को देखते ही मुझे
तुम्हारा ख्याल आ गया !
वो महकता हुआ सा तुम्हारा ख्याल
आज मुझे क्यूँ आ गया !
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