मेरे विचार ,
मेरा अतीत,
मेरी तनहाई ,
मेरे गम,
मेरी ख़ुशी
मेरे साथ हैं !
मेरी अभिलाषा ,
मेरा भविष्य ,
मेरी मंज़िल,
मेरा लक्ष्य ,
मेरे समक्ष है!
और मैं
विचाराधीन मुद्रा में,
कशमकश में,
उलझन में,
भंवर में
और हैरत में हूँ .....
कि -कब होगी पूरी मेरी अभिलाषा?
कब मिलेगी मुझको मंज़िल ?
कैसे पूरा होगा मेरा लक्ष्य ?
क्या कर पाउंगी ---
मैं ये मुल्यांकन ?
Monday, September 10, 2007
मूल्यांकन
Posted by शिवानी at Monday, September 10, 2007
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1 comment:
bahut hi sundar likha hai aapne shivaani yah neeche word verification hata do mushkil hoti hai coments karne mein [:)]
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