न हवा दो शोलों को इतनी
कहीं जल न जाये घर किसी का !
चाहत को दिल ही दिल में रखो
कहीं उजड़ न जाये घर किसी का !
हाँ, बैचैन तो होता है ये दिल
जब कहता है कोई कि न मिल !
पर इतना तो रखो दिल पे काबू
कि रूक न जाये ये दिल धड़क कर !
कभी ऐसा भी करके तुम देखो
कि दिल के सारे गम तुम सी लो !
बस यही एक नसीहत है तुमको
ग़र गम भी मिलें तुमको तो पी लो !
बसा के दिल में कुछ यादें
चाहो तो सारी ज़िन्दगी जीं लो !
कहते हैं कि इंतज़ार में ही मज़ा है !
कभी मेरे दिल से जो तुम पूछो
कहेगा सदा ये दिल तड़प कर
ये इंतज़ार ही ज़िन्दगी की सज़ा है !
Saturday, September 22, 2007
नसीहत
Posted by शिवानी at Saturday, September 22, 2007
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1 comment:
kuch apno ki khatir bahut hi achha laga.....
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