गुज़र चुकी जिंदगी की रातें
क्यूँ न सुबह का इंतज़ार करें !
बहुत हो चुकी तकरार की बातें
क्यूँ न प्यार का इज़हार करें !
मौत तो मिल जायेगी बिन मांगे
क्यूँ न जिंदगी से दो बात करें !
ढूंढ रहे हैं हम,कहाँ खो गए तुम
क्यूँ न हम तुमसे मुलाक़ात करें !
बहुत थक चुके,अब सोचते हैं हम
क्यूँ न तुमसे कुछ सवालात करें !
कहाँ से चले थे,कहाँ आ गए हम
क्यूँ न नए सफर की शुरुआत करें !
Monday, September 8, 2008
कुछ सवालात
Posted by शिवानी at Monday, September 08, 2008
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12 comments:
बहुत ही अच्छा लिखा है ......
विचार भी अच्छे हैं .....
जरी रखें
बहुत अच्छा। हौसले और आत्मविश्वास से लबरेज
कहाँ से चले थे,कहाँ आ गए हम
क्यूँ न नए सफर की शुरुआत करें !
बहुत खूब शिवानी जी
bhut hi sundar rachana. jari rhe.
bahut sunder
बहुत खूब ...
शिवानी जी बहुत ही सही सोच दी है आपने . एक सुंदर प्रस्तुति के लिए बधाई. सस्नेह
क्यूँ न नए सफर की शुरुआत करें
बहुत सही सोच...वाह.
नीरज
मौत तो मिल जायेगी बिन मांगे
क्यूँ न जिंदगी से दो बात करें !
bahut khoob...
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