Thursday, July 26, 2012

आपरेशन विजय

सरहद पर कुछ बादल छाये 
हुआ सचेत हर हिन्दुस्तानी 
वो बादल नहीं मौत के साए थे 
सरहद पार से घुसपेठिये आये थे 
आये थे वतन पर कहर बरसाने 
एक ही पल में हुए सचेत 
जल,थल,वायु सेना समेत 
न घर की चिंता 
न माँ,बहनों,बेटी की चिंता 
न खाने की,न पानी की 
न सोने की,न मौसम की 
बस एक निशाना दुश्मन था 
क्या क्लीफोर्ड और क्या हनीफ 
क्या सौरव और क्या गोगोई 
क्या अजय और क्या विक्रम 
क्या अमित और क्या सुमित 
सबकी आँखों का एक निशाना 
काफिर को बचकर जाने न देना 
हो कारगिल या हो बटालिक 
टाइगर हिल हो या ज़ुबार हिल 
बजरंग चौकी या मश्कोह घाटी 
काकसार हो या द्रास सेक्टर 
खाई है कसम सबने मिलकर 
दम लेंगे अब दुश्मन को खदेड़ कर 
बोल कर भारत माता की जय 
दुश्मन पर टूट पड़े बिजली बन 
एक सैनिक और दस दुश्मन 
मार गिराने का बना फिर मन 
ले कर तौप गोले और बन्दूक 
चल पड़े दुश्मन की ओर
दुश्मन का जब गोला गिरता 
जोश से हर सैनिक कह उठता 
ये दिल मांगे मोर 
पचास दिनों तक चली लड़ाई 
आपरेशन विजय को विजय दिलाई 
एक एक इंच धरती की खातिर 
वीरों ने छाती पर गोली खाई 
वीरगति को प्राप्त हुआ 
इस देश की खातिर शहीद हुआ 
लगा कर विजय तिलक मस्तक पर 
माँ ने भेजा था सरहद पर 
आज माँ के पास आया है सैनिक 
ओढ़ कफ़न तिरंगे में लिपटा 
बेटा थक कर सोया है 
माँ ने बेटा खोया है 
पर माँ की आँखें रोती न थी 
बेटे को अब सोने दो 
चुप रहो न किसी को रोने दो 
आओ उधाएं फूलों की चादर 
फिर तोपों की लोरी दे कर 
गहरी नींद में उसे सुलाएं 
ये बेटे की मौत नहीं थी 
वह इतिहास बन हो गया अमर 
आओ हम सब भारतवासी 
श्रद्धा से अब सिर झुकाएं 
करें नमन इस अमर वीर को 
जिसने प्राण किये न्यौछावर 
अपनी मात्रभूमि की खातिर 
हो कर खड़े तिरंगे के संग 
आओ हम सब बोलें मिलकर 
वन्दे मातरम 
और उस सूनी आँखों वाली 
माँ के करके चरण स्पर्श 
एक आवाज़ में कह डालें हम 
देश के वीर सपूतों वाली 
ऐ माँ तुझे सलाम 
हे माँ के वीर सपूत 
तुमेह हमारा शत शत प्रणाम !

Wednesday, June 20, 2012

ज़ख्म

गैरों से छिपा कर,अपनों से बचा कर 
जो ज़ख्म दिल में छुपा कर रखे थे 
मुद्दत से न छेड़ा था जिनको मैंने 
आज नासूर वो बना कर रखे थे 
रिस रहा था जो दर्द,क़तरा क़तरा बन कर 
अपनी आँखों में वो,अश्क बचा कर रखे थे 
शायद काम कर जाए,दुआ ही तेरी 
वरना ज़ख्मे-जिगर तो लाइलाज बना कर रखे थे !

Tuesday, May 22, 2012

माँ

माँ,
तुम अनमोल खजाना हो 
मेरी बचपन की यादों का 
असीमित विस्तार हो तुम 
प्रेम,प्यार,दुलार का 
सुख का घना साया हो 
दुखों की धूप से निजात पाने का 
पथ प्रदर्शक हो मेरी 
अपने फ़र्ज़ से भटक जाने पर 
मेरी हंसी,ख़ुशी नहीं छिपी 
नहीं छिपे हैं मेरे दुःख और सुख 
मेरे संस्कारों का आइना हो तुम 
तुम रंग हो,सुगंध हो 
मेरे अहसासों की तरंग हो 
तुम प्रेरणा हो,आदर्श हो 
मेरी आँखों का सुखद स्वप्न हो 
तुम धरती हो,आकाश हो 
तुम ज्ञान का प्रकाश हो 
खुशियों की बौछार हो
गुरु भी हो,तुम दोस्त भी हो 
तुम होली हो,दीवाली हो 
तुम सबकी राजकुमारी हो 
माँ,तुम बहुत ही  प्यारी हो !

Friday, April 27, 2012

हसरत

मैं इन पलकों को झुकाऊं कैसे
मैंने चाँद को धरती पर उतरते देखा है 
हाँ - वो रात का पहर था ,और थी तन्हाई 
सारी धरती लगती थी चांदनी में नहाई 
मैंने चांदनी में हीरे को लिपटे देखा है 
मेरी हसरत है कि चाँद को हाथों में पकड़ लूँ 
दिल के कोने में छुपा लूँ या पलकों में बसा लूँ 
मगर चाँद कब हो कर रहा है किसीका 
मैंने उसे मुंह फेर कर जाते देखा है ....  

Monday, April 23, 2012

फ़साना

कैसे कहूँ मैं तुमसे                    
अपने दिल का ये फ़साना 
एक चाहत का दायरा था 
वो भी सिमट रहा है 
न कोई वजूद मेरा 
न कोई मेरा ठिकाना 
लो अब चला मैं यारो 
मेरा सांस घुट रहा है 

Friday, May 27, 2011

इबादत न कर पाया

है याद तुमको देख कर 
नज़रों का झुका लेना 
मगर नज़रों की क़ैद से 
तुमको कभी 
रिहा न कर पाया मैं  !

किया था कभी वादा 
तुमसे मिलने का मेरे दोस्त 
मगर वादों की जंजीर से 
खुद को कभी 
जुदा न कर पाया मैं  !

सोचा था न करूंगा 
ताउम्र तुम्हें याद 
मगर यादों के बगीचे से 
खुद को कभी 
पार न कर पाया मैं  !

कबका बिछड़ा हुआ आज 
तेरे दर से जो गुज़रा
मगर चाहते हुए भी 
एक पल को तेरा 
दीदार न कर पाया मैं  !

है दुआ मेरी की सदा 
सलामत रहे तू 
मगर तेरे सिवा 
किसी और की कभी 
इबादत न कर पाया मैं  !  

Thursday, April 8, 2010

duaa

है आज दुआ बस मेरी इतनी
तू मेरे मन का मीत बने !
जो बदले न बरसों में
तू प्रेम की ऐसी रीत बने !
तेरे मुखसे जो शब्द निकलें
मेरे होटों के गीत बने !
हर आह्ट तेरी धड़कन की
मेरे दिलका संगीत बने !
हो जाय अमर इस दुनिया में
हम दोनों की ऐसी प्रीत बने !

Tuesday, September 22, 2009

ख्वाब


उनींदी सी आंखों में
पलकों के पीछे
ख़्वाबों में जब तुम
चुपके से आए !
मेरा मन महका
कदम डगमगाए
कानों में आकर
जब तुम गुनगुनाये !
इन्हीं चंद शब्दों को
सुनने की हसरत
हकीकत से हट कर
क्यूँ ख़्वाबों में लाये !
है तुमसे गुजारिश
यही बात कहने
हकीकत में आते
क्यूँ ख़्वाबों में आए !
ख़्वाबों से निकल कर
चले आओ दिल में
समय के सफर से
हैं दो पल चुराए !

Thursday, September 10, 2009

अहसास

मैंने देखा नहीं है उसको
मगर हवाओं में महसूस किया है !
है ख़्वाबों में तस्वीर उसकी
मैंने तस्वीरों में महसूस किया है !
वो मेरे अहसाह ,मेरी बातों में है
मैंने अल्फाजों में महसूस किया है !
समझा है,चाहा है,सोचा है उसको
शायद मैंने जज्बातों में महसूस किया है !

Wednesday, September 2, 2009

सुलझी पहेली

शायद मैंने तुम्हें कुछ समझा है !
बहुत कुछ नज़र आने पर ,
तुम्हारा नज़रंदाज़ कर जाना !
बहुत कुछ कहना चाहने पर ,
तुम्हारा इज़हार न कर पाना !
बहुत सी प्रेम भावनाओं का ,
तुम्हारे मन में दब जाना !
किसीकी इच्छाओं को जान कर ,
तुम्हारा अनजान बन जाना !
मगर -
खुली किताब सी आँखें तुम्हारी ,
बहुत कुछ पढ़ा देती हैं अब मुझको !
अनायास ही बंद ,चुप होंठ तुम्हारे ,
बहुत कुछ बता देते हैं अब मुझको !
प्रेम भावनाएं लिए चेहरा तुम्हारा ,
बहुत कुछ कह देता है अब मुझको !
मनमोहक,मनमुग्ध,मुस्कान तुम्हारी ,
बहुत कुछ दर्शाती हैं अब मुझको !
हाँ,तुम अनबूझ पहेली थे अब तक ,
वो पहेली सुलझी नज़र आती है अब मुझको !